🏡अनुराग शुक्ला
18 मई अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस
एक शहर के रूप में मुझे भोपाल ने बहुत आकर्षित किया। अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस के बहाने इस शहर को याद करना विशेष हो जाता है। यह शहर वैसे तो झीलों के लिए विख्यात है पर यहां इतना कुछ है कि मैं तो कहूंगा एक जनम काफी नहीं है इसे समझने को। अपने इतिहास में झांकने के लिए क्या कुछ नहीं है इस खूबसूरत शहर में ...
भोपाल जाने के तो बहुत से बहाने रहे हैं पर उनमें से एक सबसे महत्वपूर्ण ये है कि मेरे अभिन्न मित्रों ने वहां अपना ठिकाना बना लिया है। इस शहर को प्रकृति ने असीम सुंदरता प्रदान की है। साथ ही सरकारों और यहां के स्थानीय लोगों ने भी इसे खूब समृद्ध किया है। झील, पहाड़ों, जंगल से हटकर बात करें तो इस शहर को घुमक्कड़ी के लिए विशेष बनाते हैं यहां के संग्रहालय।
भोपाल में राज्य संग्रहालय, जनजातीय संग्रहालय, इंदिरा गांधी मानव संग्रहालय, बिरला संग्रहालय, दुष्यंत कुमार पांडुलिपि संग्रहालय, भोपाल विज्ञान केंद्र हैं। मुझे इंदिरा गांधी मानव संग्रहालय और जनजातीय संग्रहालय में जाने का अवसर मिला।
वर्ष 1977 में मानव संग्रहालय की स्थापना की गई। वर्ष 1993 में इसे इंदिरा गांधी मानव संग्रहालय नाम दिया गया। यहां पहुंचकर मुझे लगा कि आखिर ऐसे संग्रहालयों की आवश्यकता हमारी और आने वाली पीढ़ी को क्यों है? जनजातीय विकास और उनकी परंपराओं के साथ ही लोककलाओं की न सिर्फ झलक मिलती है बल्कि महत्वपूर्ण जानकारियां भी अंकित हैं। यहां क्रमबद्ध रूप से अलग-अलग कालखंडों को पिरोते हुए आधुनिक भारत तक के दर्शन होते हैं।
इस संग्रहालय में कई दुर्लभ वस्तुएं दिखती हैं जैसे- जनजातीय घर की प्रतिकृति, मिट्टी, तांबे, पीतल आदि के बर्तन, वाद्ययंत्र, कृषि उपकरण, अस्त्र-शस्त्र, मुखौटे, मूर्तियां, कपड़े आदि रखे गए हैं। हम कहानियों-किस्सों में तो ऐसी चीजों के बारे में सुनते हैं परंतु उन्हें सामने देखने पर अलग ही अनुभूति होती है। पोस्ट लंबी हो रही है और भोपाल पर लिखने बैठ जाएं तो कई पोस्ट लिखनी पड़ेगी।
भोपाल में अधिकतर संग्रहालय आसपास होने से यहां पहुंचना बेहद आसान है। कम समय और कम खर्च में आप गजब का अनुभव प्राप्त कर सकते हैं। जो सदस्य नहीं गए वे यहां जरूर जाएं। कोशिश करें कि इन संग्रहालयों में बच्चों को लेकर जरूर जाएं। आप यहां रोमांचित हो जाएंगे। आप यहां से न सिर्फ मानव विकास, प्रचीन सभ्यताओं, पुरातन भारत के बारे में जानकारियां बटोरकर लौटेंगे बल्कि नई ऊर्जा से भी परिपूर्ण होंगे।
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